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नोट:- भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार बांस रोपण हेतु निम्न शर्तें हैं :-
1. पौधों की दूरी 5 मी. 5 मी. रहेगी। यदि रोपण केवल खेतों की मेढ़ों अथवा किनारों पर किया जाता है तो कुल रोपित पौधों संख्या के आधार पर क्षेत्रफल की गणना की जाएगी व उसी अनुसार सहायता की राशि आवंटित की जाएगी इस प्रकार 1 है. क्षेत्रफल में 400 पौधों (1 नाली में पौधों ) का रोपण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि कोई लाभार्थी बगीचे, घर, खेतों के किनारे -किनारे बांस रोपण करना चाहता है तो ऐसी दशा में प्रत्येक 400 बांस पौध रोपण को एक हेक्टेयर के बराबर माना जायेगा तथा अनुदान राशि कुल रूपये 120 प्रति पौध के हिसाब से 3 किश्तों (50:30:20) अनुपात में देय होगी।
2. भारत सरकार की दिशा-निर्देश के अनुसार निजी भूमि पर बांस रोपण करने हेतु रु. 100000/- प्रति हेक्टेयर की धनराशि आंगणित की गई है, जिस पर वर्तमान में 50 प्रतिशत (रु. 50000/- प्रति हेक्टेयर )अनुदान के रूप में प्रदान किया जायेगा, शेष 50 प्रतिशत धनराशि लाभार्थी बैंक ऋण ले सकता है अथवा यदि कोई व्यक्ति स्वयं निजी स्रोत्रों से धनराशि की व्यवस्था कर लेता है तो उसे बैंक ऋण प्राप्त करने की बाध्यता नहीं होगी।
3. गैर वन क्षेत्रों (सरकारी, पंचायत तथा सामुदायिक भूमि ) में होने वाले बांस रोपण पर अनुदान का राशि 100 प्रतिशत (रु0 1.00 लाख ) प्रदान किया जायेगा।अनुदान राशि का प्रतिशत,दूसरी किश्त द्वितीय वर्ष अनुदान राशि का 30 प्रतिशत तथा तीसरी व अंतिम किश्त अनुदान राशि का 20 प्रतिशत। अनुदान राशि बांस रोपण के रखरखाव एवं जीवितता प्रतिशत से लिंक किया जायेगा, जिसमे लाभार्थी द्वारा प्रतिस्थापन कर 1 साल के बाद 80 प्रतिशत तथा 2 साल के बाद 100 प्रतिशत होनी आवश्यक है। बांस की पौध लाभार्थी द्वारा स्वयं की जाएगी,यदि परिषद् द्वारा पौध उपलब्ध कराया जाता है तो इस दशा में पौध का मूल्य लाभार्थी के अनुदान राशि से कटौती की जायेगी।
4. अनुदान की राशि तीन किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी। प्रथम किश्त अग्रिम मृदा कार्य तथा पौध रोपण कार्य सम्पन्न होने के उपरांत अनुदान राशि का 50 प्रतिशत, दूसरी किश्त द्वितीय वर्ष अनुदान राशि का 30 प्रतिशत तथा तीसरी व अंतिम किश्त अनुदान राशि का 20 प्रतिशत। अनुदान राशि बांस रोपण के रखरखाव एवं जीवितता प्रतिशत से लिंक किया जायेगा। जिसमें लाभार्थी द्वारा प्रतिस्थापन कर 1 साल के बाद 80 प्रतिशत तथा 2 साल के बाद 100 प्रतिशत होनी आवश्यक है।
5. बांस की प्रजाति का चयन उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद् की तकनीक सलाह पर राष्ट्रीय बांस मिशन की दिग्दर्शिका के अनुसार किया जाना आवश्यक होगा।
6. तकनीक रूप से सुयोग्य प्रस्तावों पर ही विचार किया जायेगा।
7. केंद्र तथा राज्य सरकार के अधिकारियों तथा नामित किसी व्यक्ति एवं संस्था द्वारा बांस रोपण का निरीक्षण किया जाता है तो इस दशा में लाभार्थी को सहयोग करना होगा।
8. समस्त प्रस्ताव राज्य स्तरीय बैंबू डेवलपमेंट एजेंसी देहरादून को प्राप्त होंगे।

मेरे / हमारे द्वारा उपरोक्त दी गई सूचनाएं सत्य हैं। मैं /हम उपरोक्त नियमो एवं शर्तों का पालन के लिए तैयार हूँ / हैं, यदि भविष्य में किसी भी समय मेरे / हमारे द्वारा दी गई सूचनाएं गलत पाई जाती है या राष्ट्रीय बांस मिशन के नियमों एवं शर्तों के अनुसार कार्य नहीं पाया जाता तो मैं / हम स्वयं इसके लिए जिम्मेदार रहूंगा / रहेंगे साथ ही मिशन से प्राप्त पूर्ण धनराशि को राष्ट्रीय बांस मिशन उत्तराखंड को वापस करूंगा/करेंगे।